अनुशासन और इमेनुएल कांट
एक बार की बात है इमेनुएल कांट अपनी कॉलोनी में सुबह सुबह सैर के लिए निकले , मौसम खराब था जोरदार बारिश हो रही थी।
तभी उनके पड़ोसी उन पर हंसने लगे और पूछने लगे कि कांट साहब इतनी भी क्या मजबूरी हो गई,
तब इमेनुएल कांट ने मुस्कुराकर जवाब दिया कि सैर मेरी दिनचर्या का अटूट हिस्सा है, हम जीवन में जितने अनुशासित होते हैं उतने ही अधिक तीव्रता से यह महसूस करते है कि हम जी रहे है , हम जीवन के प्रति उतने ही अधिक सचेत रहते है।
जर्मनी के विख्यात कालाविद और दार्शनिक इमेनुएल कांट की इसी पाबंद सैर का ऐसा असर हुआ कि वो जिस इलाके में सुबह एक घंटा सैर करते थे,वहां के लोग उनकी चहलकदमी सुन कर समय का अंदाजा लगा लेते थे।
उनकी इसी दिनचर्या को वहां के स्थानीय अखबारों ने " द फिलोस्फर वॉक " नाम दिया ।
दर्शनशास्त्र में इमेनुएल कांट को आज भी संसार के सबसे अनुशासित दार्शनिक के रूप में याद किया जाता है।
धन्यवाद।👍🙏
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